Saturday, July 2, 2011

विकास की धुंधली तस्वीर में बीत गए 17 साल

लखीसराय, जाप्र. : जिला बनने के 17 वर्षों के बाद भी लखीसराय का अपेक्षित विकास नहीं हो सका है। विकास की धुंधली तस्वीर में जिले का ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक महत्व सिमटता जा रहा है। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों की संवेदनहीनता एवं स्वार्थ पूर्ण नीति के कारण यहां के विकास योजनाओं का ग्रहण लगता चला जा रहा है। तीन जुलाई 1994 को राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने लखीसराय अनुमंडल को जिला का दर्जा प्रदान किया। 17 वर्ष के इस लंबे सफर में अबतक जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक एवं उप विकास आयुक्त कैलेंडर की तरह बदलते गये लेकिन जिला का स्वरूप और विकृत हो गया। जिले के दो विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे दो भाजपा विधायकों विजय कुमार सिन्हा, प्रेम रंजन पटेल एवं क्षेत्रीय सांसद ललन सिंह के अलावा बड़हिया निवासी कैबिनेट मंत्री गिरिराज सिंह जैसे राजनीतिक दिग्गजों के रहते भी इस जिले का स्वरूप नहीं बदल पाया है। यहां विकास से अधिक श्रेय लेने की राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई होती चली आ रही है। आम जनता के अरमान सपने में बदल गये। विकास के नाम पर अनियमित विद्युत आपूर्ति, बदहाल विधि व्यवस्था, सड़क जाम, रसोई गैस के लिए हाहाकार, पेयजल की किल्लत इसका गवाह है। जैसे-जैसे अधिकारी बदलते गये कमीशन खोरी की संस्कृति बढ़ती गई। लोगों का मानना है कि लखीसराय जिला लूट की बुनियाद पर खड़ा है। जिला बनने के बाद लखीसराय की तस्वीर तो नहीं बदली बल्कि अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों की सूरत में अवश्य बदलाव आया। जिले में संसाधनों की घोर कमी के बीच दर्जन भर विभाग प्रभारी पदाधिकारी के भरोसे चल रहा है। प्रखंड, अंचल, अनुमंडल एवं समाहरणालय संवर्ग में कर्मचारियों का टोटा बरकरार है। पदस्थापित तीन वरीय उप समाहर्ता एक साथ कई विभाग के प्रभार में हैं। अधिकारियों के लिए सरकारी वाहन व आवास अब भी गंभीर समस्या बनी हुई है। आवासीय व्यवस्था नहीं रह पाने के कारण अब तक जिले में जिला जज का पदस्थापन नहीं हो सका है। नियोजनालय एवं अन्त्य परीक्षण केंद्र के लिए अब भी मुंगेर का सहारा लेना पड़ता है। अपराधियों के बढ़ते हौसले और नक्सलियों के प्रभाव ने जिला वासियों की नींद हराम कर रख दी है। स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हुए वीर सपूतों की याद में शहीद द्वार स्थित अ‌र्द्धनिर्मित शहीद स्मारक भवन भी शासन व प्रशासन की नाकामी का पोल खोल रहा है। वे कहते हैं कि आजादी की लड़ाई इसी दिन को देखने के लिए लड़ी गयी जहां विकास की सिर्फ बातें होती हैं। विकास की तस्वीर जिला मुख्यालय से ही नजर आता है जहां अब भी अधिकारियों के लिए कार्यालय एवं आवास नहीं है। हालांकि उप विकास आयुक्त सुरेश चौधरी की मानें तो जिले में काफी परिवर्तन हुआ है और विकास की गाड़ी बढ़ रही है। 
Source:-Jagran Bihar

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