Saturday, September 4, 2010

अब गुमराह की नीति पर माओवादी

Sep 04, 01:13 am
लखीसराय। जिले के कजरा थाना क्षेत्र के कानीमोह के जंगलों में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में भारी सफलता हासिल करने के बाद नक्सली संगठन के सदस्य विगत पांच दिनों से पुलिस प्रशासन को गुमराह कर सुरक्षित ठिकाने पर पहुंचने की जुगत में लगे हुए हैं। इस जंगल के पहाड़ों पर अब भी पांच सौ से अधिक नक्सली मौजूद हैं। अब वे वहां से निकलने की जुगत में हैं। पुलिस प्रशासन की दृढ़ इच्छा शक्ति की कमी एवं ठोस रणनीति के अभाव में भले ही अभी तक नक्सली संगठन के सदस्य जान बचाने में सफल रहे हैं। परंतु नक्सली संगठन के सदस्य अभी तक सुरक्षित ठिकाने तक नहीं पहुंच पाए हैं। खासकर कजरा थाना क्षेत्र के सिमरातरी कोड़ासी गांव के समीप शुक्रवार को एक पुलिस जवान लुकस टेटे की लाश पाए जाने से यह तय है कि नक्सलियों द्वारा तीन अन्य बंधक बनाए गए पुलिस कर्मियों को भी कजरा के जंगलों में ही छिपाकर रखा गया है। लेकिन दृढ़ इच्छा शक्ति की कमी के कारण पुलिस प्रशासन अब तक नक्सलियों के विरूद्ध कार्रवाई करने की बात तो दूर बंधक बनाए गए पुलिस कर्मियों को खोजने तक का हिम्मत नहीं जुटा पायी है। इधर नक्सली संगठन के जोनल प्रवक्ता अविनाश मीडिया के माध्यम से बार-बार बंधक पुलिस कर्मियों के एवज में जेल में बंद आठ नक्सलियों को छोड़ने की मांग कर पुलिस प्रशासन को गुमराह करने में लगा है। इतना ही न हीं सर्च अभियान चलाने पर बंधक पुलिस कर्मियों की हत्या करने की भी धमकी दे चुका है। आश्चर्य की बात यह है कि गत गुरुवार को लगभग दो बजे नक्सली जोनल प्रवक्ता ने मीडिया को बताया कि उनकी मांग नहीं माने जाने के कारण माणिकपुर ओपी के एसएचओ अभय कुमार यादव की हत्या कर दी गयी है। उक्त खबर के बाद रात भर पुलिस प्रशासन एवं मीडिया कर्मी अभय की लाश के लिए भटकते रहे। परंतु शुक्रवार की सुबह सिमरातरी कोड़ासी के समीप पुलिस कर्मी लुकस टेटे की लाश पायी गयी। नक्सलियों द्वारा छोड़े गए पर्चे में तीन पुलिस कर्मियों माणिकपुर ओपी के एसएचओ अभय कुमार यादव, प्रशिक्षु अवर निरीक्षक रूपेश कुमार एवं एहतेशाम खान के जीवित रहने की बात कही गयी है। इससे साफ जाहिर होता है कि नक्सली संगठन के सदस्य पुलिस प्रशासन को गुमराह कर अपनी रोटियां सेंक रहा है।
Link :- Jagran

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