लखीसराय, जाप्र. : स्वास्थ्य विभाग की सर्तकता के कारण जिले में नवजात
मृत्यु दर में काफी कमी आयी है। वित्तीय वर्ष 10-11 में जहां 13,287 जन्म
लेने वाले बच्चे में से 495 की मौत हुई वहीं वर्ष 11-12 में जनवरी माह तक
15,166 जन्म लेने वाले बच्चों में से 222 की ही मौत हुई। इससे जाहिर है कि
स्वास्थ्य विभाग नवजात की मृत्यु दर कम करने में सफल रहा है। अंदाजा लगाया
जा रहा है कि महिलाओं के गर्भ धारण के तीसरे माह से ही स्वास्थ्य विभाग
जच्चा एवं बच्चा की सुरक्षा के प्रयास में जुट जाता है। इसके तहत गर्भवती
महिलाओं का रजिस्ट्रेशन कर समय-समय पर उसकी जांच कर जरूरत के मुताबिक दवा,
आयरन एवं टेटनस से बचाव को लेकर इंजेक्शन आदि दिया जाता है। इसके तहत चालू
वित्तीय वर्ष 11-12 के जनवरी माह तक स्वास्थ्य विभाग द्वारा 18,629 एवं
वर्ष 10-11 में 20,444 गर्भवती महिलाओं का रजिस्ट्रेशन किया गया।
महिलाओं के प्रसव पूर्व हुई जांच
वर्ष 11-12 में 7,351 महिलाओं के गर्भधारण के तीसरे माह में जांच हुई। जबकि 10,046 गर्भवती महिलाओं का प्रसव पूर्व तीन से चार बार जांच हुई। वहीं वर्ष 10-11 में 11,079 महिलाओं के गर्भधारण के तीसरे माह में एवं 7,865 गर्भवती महिलाओं का प्रसव पूर्व तीन-चार बार जांच हुई।
गर्भवती महिलाओं में पायी गई बीमारी
वर्ष 11-12 में 702 महिलाओं में निम्न रक्तचाप एवं 604 महिलाओं में खून की कमी पाया गया। वहीं वर्ष 10-11 के जनवरी माह तक 271 महिलाओं में निम्न रक्तचाप एवं 538 महिलाओं में खून की कमी पाया गया।
आयरन व टेटनस की मिली दवा
वर्ष 11-12 में 9,840 गर्भवती महिलाओं 17,711 महिलाओं को टीटी 1, 17,239 महिलाओं को टीटी 2 (टेटनस) का इंजेक्शन दिया गया। वर्ष 2010-11 में 9,840 महिलाओं को आयरन की दवा, 20,073 महिलाओं को टीटी 1 एवं 17,913 महिलाओं को टीटी 2 (टेटनस) का इंजेक्शन दिया गया।
घर पर प्रसव होने पर भी इलाज
स्वास्थ्य विभाग द्वारा वर्ष 11-12 के जनवरी माह तक 5,240 महिलाओं का घर पर प्रसव होने के बाद घर जाकर इलाज किया गया। वहीं वर्ष 2010-11 में 3,622 महिलाओं का घर पर प्रसव होने के बाद घर जाकर इलाज किया गया। इससे साफ जाहिर होता है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा वर्ष 2011-12 के पूर्व शिशु मृत्यु दर रोकने की कागजी खानापूर्ति की जाती थी।
क्या कहते हैं अधिकारी
सिविल सर्जन डा. सकलदीप चौधरी की मानें तो स्वास्थ्य विभाग शिशु मृत्यु दर रोकने के प्रति काफी सतर्क है। गर्भवती महिलाओं का रजिस्ट्रेशन करने के बाद नर्सो द्वारा समय-समय पर जांच कर जरूरत के मुताबिक दवा दी जाती है।
Source :- Jagran
महिलाओं के प्रसव पूर्व हुई जांच
वर्ष 11-12 में 7,351 महिलाओं के गर्भधारण के तीसरे माह में जांच हुई। जबकि 10,046 गर्भवती महिलाओं का प्रसव पूर्व तीन से चार बार जांच हुई। वहीं वर्ष 10-11 में 11,079 महिलाओं के गर्भधारण के तीसरे माह में एवं 7,865 गर्भवती महिलाओं का प्रसव पूर्व तीन-चार बार जांच हुई।
गर्भवती महिलाओं में पायी गई बीमारी
वर्ष 11-12 में 702 महिलाओं में निम्न रक्तचाप एवं 604 महिलाओं में खून की कमी पाया गया। वहीं वर्ष 10-11 के जनवरी माह तक 271 महिलाओं में निम्न रक्तचाप एवं 538 महिलाओं में खून की कमी पाया गया।
आयरन व टेटनस की मिली दवा
वर्ष 11-12 में 9,840 गर्भवती महिलाओं 17,711 महिलाओं को टीटी 1, 17,239 महिलाओं को टीटी 2 (टेटनस) का इंजेक्शन दिया गया। वर्ष 2010-11 में 9,840 महिलाओं को आयरन की दवा, 20,073 महिलाओं को टीटी 1 एवं 17,913 महिलाओं को टीटी 2 (टेटनस) का इंजेक्शन दिया गया।
घर पर प्रसव होने पर भी इलाज
स्वास्थ्य विभाग द्वारा वर्ष 11-12 के जनवरी माह तक 5,240 महिलाओं का घर पर प्रसव होने के बाद घर जाकर इलाज किया गया। वहीं वर्ष 2010-11 में 3,622 महिलाओं का घर पर प्रसव होने के बाद घर जाकर इलाज किया गया। इससे साफ जाहिर होता है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा वर्ष 2011-12 के पूर्व शिशु मृत्यु दर रोकने की कागजी खानापूर्ति की जाती थी।
क्या कहते हैं अधिकारी
सिविल सर्जन डा. सकलदीप चौधरी की मानें तो स्वास्थ्य विभाग शिशु मृत्यु दर रोकने के प्रति काफी सतर्क है। गर्भवती महिलाओं का रजिस्ट्रेशन करने के बाद नर्सो द्वारा समय-समय पर जांच कर जरूरत के मुताबिक दवा दी जाती है।
Source :- Jagran
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