Jul 20, 06:37 pm
लखीसराय: अगर सबकुछ ठीक ठाक रहा तो अब लखीसराय जिला भी बौद्ध सर्किट
से जुड़ जाएगा। गौतम बुद्ध ने यहां तीन वर्षो तक प्रवास किया था। इन दौरान
के चिन्हित प्रवास स्थलों को अब पर्यटन स्थल बनाने की सरकारी पहल शुरू कर
दी गई है।
विधान पार्षद के 170वें सत्र में विधान पार्षद बासुदेव सिंह द्वारा पूछे गए सवाल के आलोक में पर्यटन विभाग के उप सचिव हासिम खां ने पत्रांक 2017, 27 जून 2012 द्वारा जिलाधिकारी को पत्र भेज गौतम बुद्ध के प्रवास वाले स्थान के संबंध में विस्तृत जानकारी मांगी है। गौतम बुद्ध ने जिले में लय की पहाड़ी, शिवडीह, पूनाडीह, वेणुवन व वृंदावन की पहाड़ियों पर तीन वर्षो तक अलग-अलग समय पर प्रवास किया था। जिसकी स्मृति चिन्ह, छोटी-छोटी मूर्तियां व पहाड़ी पर तपस्या स्थल के अवशेष आज भी मौजूद हैं। ऐसे चिन्हित स्थलों को पर्यटन के दृष्टिकोण से विकसित करने के लिए अपने मंतव्य के साथ डीएम को शीघ्र सूचना देने को कहा गया है। इसके तहत स्थल के नाम, ऐतिहासिक, धार्मिक एवं पुरातात्विक महत्व, पर्यटकों की संख्या, आवागमन की सुविधाएं, भूमि की उपलब्धता, पर्यटकों की सुविधाओं के विकास तथा स्थल के सौंदर्यीकरण की आवश्यकता व उसपर अनुमानित प्राक्कलित राशि का ब्योरा उपलब्ध कराने को कहा गया है।
विदित हो कि पाली साहित्य के जाने-माने विद्वान नासिक (महाराष्ट्र) जिले के इग्गतपुरी स्थित विपस्यना शोध संस्थान के निदेशक डॉ. अंगराज चौधरी ने भी अपने कई ग्रंथों में इस क्षेत्र से भगवान बुद्ध के विशेष लगाव का जिक्र किया है। भगवान बुद्ध ने वकुल यक्ष से प्रभावित उरैन क्षेत्र में आकर अपने उपदेश से वकुल यक्ष को शिष्य बनाकर लोगों को उसकी प्रताड़ना से मुक्ति दिलाई थी। इस दौरान सिंघौल, लय, पवई, उरैन, वृंदावन, रजौना चौकी, शिवडीह, पूनाडीह, वेणुवन, बेलथुआ, पोखरामा, अरमा, सहूर, सिंगारपुर, नंदपुर, बुधौली बनकर आदि स्थानों का भ्रमण कर गौतम बुद्ध ने लोगों को उपदेश एवं दीक्षा प्रदान किया था। क्षेत्र में आज भी भगवान बुद्ध व बौद्ध धर्म से जुड़े अवशेष क्षेत्र के विभिन्न जगहों पर बिखरे पड़े हैं। लय गांव में स्तूप के तोड़े गए पिलर के टुकड़े, बेलथुआ गांव स्थित तालाब किनारे भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण की शिलालेख युक्त मूर्ति एवं एक चतुर्मुख शिवलिंग मौजूद है। पोखरामा गांव स्थित ठाकुरबाड़ी में भगवान बुद्ध से संबंधित दर्जनों मूर्तियां और उरैन पहाड़ी पर बौद्ध मठ स्तूप के अवशेष आज भी मिले हैं।
Source:- Jagran
विधान पार्षद के 170वें सत्र में विधान पार्षद बासुदेव सिंह द्वारा पूछे गए सवाल के आलोक में पर्यटन विभाग के उप सचिव हासिम खां ने पत्रांक 2017, 27 जून 2012 द्वारा जिलाधिकारी को पत्र भेज गौतम बुद्ध के प्रवास वाले स्थान के संबंध में विस्तृत जानकारी मांगी है। गौतम बुद्ध ने जिले में लय की पहाड़ी, शिवडीह, पूनाडीह, वेणुवन व वृंदावन की पहाड़ियों पर तीन वर्षो तक अलग-अलग समय पर प्रवास किया था। जिसकी स्मृति चिन्ह, छोटी-छोटी मूर्तियां व पहाड़ी पर तपस्या स्थल के अवशेष आज भी मौजूद हैं। ऐसे चिन्हित स्थलों को पर्यटन के दृष्टिकोण से विकसित करने के लिए अपने मंतव्य के साथ डीएम को शीघ्र सूचना देने को कहा गया है। इसके तहत स्थल के नाम, ऐतिहासिक, धार्मिक एवं पुरातात्विक महत्व, पर्यटकों की संख्या, आवागमन की सुविधाएं, भूमि की उपलब्धता, पर्यटकों की सुविधाओं के विकास तथा स्थल के सौंदर्यीकरण की आवश्यकता व उसपर अनुमानित प्राक्कलित राशि का ब्योरा उपलब्ध कराने को कहा गया है।
विदित हो कि पाली साहित्य के जाने-माने विद्वान नासिक (महाराष्ट्र) जिले के इग्गतपुरी स्थित विपस्यना शोध संस्थान के निदेशक डॉ. अंगराज चौधरी ने भी अपने कई ग्रंथों में इस क्षेत्र से भगवान बुद्ध के विशेष लगाव का जिक्र किया है। भगवान बुद्ध ने वकुल यक्ष से प्रभावित उरैन क्षेत्र में आकर अपने उपदेश से वकुल यक्ष को शिष्य बनाकर लोगों को उसकी प्रताड़ना से मुक्ति दिलाई थी। इस दौरान सिंघौल, लय, पवई, उरैन, वृंदावन, रजौना चौकी, शिवडीह, पूनाडीह, वेणुवन, बेलथुआ, पोखरामा, अरमा, सहूर, सिंगारपुर, नंदपुर, बुधौली बनकर आदि स्थानों का भ्रमण कर गौतम बुद्ध ने लोगों को उपदेश एवं दीक्षा प्रदान किया था। क्षेत्र में आज भी भगवान बुद्ध व बौद्ध धर्म से जुड़े अवशेष क्षेत्र के विभिन्न जगहों पर बिखरे पड़े हैं। लय गांव में स्तूप के तोड़े गए पिलर के टुकड़े, बेलथुआ गांव स्थित तालाब किनारे भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण की शिलालेख युक्त मूर्ति एवं एक चतुर्मुख शिवलिंग मौजूद है। पोखरामा गांव स्थित ठाकुरबाड़ी में भगवान बुद्ध से संबंधित दर्जनों मूर्तियां और उरैन पहाड़ी पर बौद्ध मठ स्तूप के अवशेष आज भी मिले हैं।
Source:- Jagran
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