May 29, 07:21 pm
लखीसराय, जागरण कार्यालय : नदी प्रकृति का ऐसा उपहार है जिसका और कोई
दूसरा विकल्प जलश्रोत के मामले में नहीं हो सकता है। धार्मिक दृष्टिकोण की
महत्ता से अलग हटकर भी देखें तो नदी कई मायने में विकास का भी द्योतक है।
फिर भी आज नदियां क्यों हमसे दूर चली जा रही है? आज संकल्प लेने की जरूरत
है हर नागरिकों को, ताकि यदि एक आदमी खड़ा होता है इस अभियान को लेकर तो एक
फौज खड़ी हो सकती है नदियों के अस्तित्व को बचाने के लिए। बस थोड़ी सी यदि
जागरूकता आ जाए तो गांव और शहर क्या घर-घर से निकलेंगे लोग नदी को बचाने के
लिए। लखीसराय जिले में गंगा सबसे बड़ी नदी है। इसके बाद हरूहर फिर किऊल नदी
की बारी आती है। सूर्यगढ़ा के कुछ क्षेत्र में गरखे नदी है। दुर्दशा की
बात करें तो सबकी हालत एक जैसी है। अब हमें अभियान के तहत यह सोचना होगा कि
आखिर कैसे ये नदियों सुरक्षित और संरक्षित रह पाएगी। आखिर क्यों नहीं इसे
लेकर जागरूकता कार्यक्रम समाज के अंदर शुरू करें और नुक्कड़ सभा कर लोगों को
प्रेरित करें कि खुद से नदियों की देखभाल कर उसकी गंदगी को दूर करें हम।
सच में यदि एक आदमी के शुरू करने से यदि यह समाज की आवाज बन जाती है तो वह
दिन दूर नहीं जब इस जिले की नदियां भी प्रदूषण मुक्त होगी। और जब नदी
स्वच्छ होगी तो मानव, पशु, जलचर भी स्वस्थ होंगे फिर एक ऊर्जावान समाज उस
नदी पर नाज करेगा जिसके लिए उसने अपनी आवाज उठाई।
Source:- Jagran
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