Monday, September 13, 2010

जंग-ए-आजादी की दास्तां कह रहा हाहा बंगला

लखीसराय। बड़हिया नगर पंचायत के वार्ड नंबर 6 स्थित हाहा बंगला आज भी जंग-ए-आजादी की दस्ता बयां कर रहा है। यहां आजादी के पहले गुलामी की जंजीर को तोड़ने के लिए रणनीति बनती थी। आज प्रशासन, जनप्रतिनिधियों एंव आम लोगों की उदासीनता के लिए जाना जाता है। यह ऐतिहासिक धरोहर आज हाहा बंगला के बदले भूत बंगला बनता जा रहा है। जानकारी के मुताबिक जंग-ए-आजादी की लड़ाई के समय इस हाहा बंगला की स्थापना बड़हिया के स्वतंत्रता सेनानियों एवं क्रांतिकारियों के द्वारा 1902 में की गयी थी। यहां क्रांतिकारियों की गुप्त बैठकें हुआ करती थी तथा रणनीतियां निर्धारित कर उंची इमारत से छिपकर गोरे फिरंगियों पर नजर रखी जाती थी। इस बंगले पर असहयोग आंदोलन के समय राष्ट्रीय पाठशाला की भी स्थापना की गयी थी। आजादी की लड़ाई के क्रम में यहां स्वामी सहजानंद सरस्वती, डा. श्रीकृष्ण सिंह, जयप्रकाश नारायण, गणेश दत्त सिंह, कार्यानंद शर्मा, दीपनारायण सिंह आदि राष्ट्रीय नेताओं का आगमन हुआ था। परंतु आजादी के बाद इस ऐतिहासिक बंगले की हालत बदतर होने लगी। जहां पहले देश की आजादी की चर्चा होती थी वहीं आज अपराध की चर्चा होती है। यह बंगला वीरान एवं मरम्मत एवं रख रखाव के अभाव में जर्जर हो गया है। क्षेत्र के बुद्धिजीवियों ने इस संबंध में बताया कि मां बाला त्रिपुर सुंदरी मंदिर के बाद बड़हिया में अगर कोई ऐतिहासिक स्थल है तो वह हाहा बंगला है। अगर प्रशासनिक स्तर से इसके संरक्षण एवं जीर्णोद्धार की पहल की जाए तो इस ऐतिहासिक विरासत को भविष्य के लिए संजोया जा सकता है। 
सूत्र :- जागरण 

No comments: