लखीसराय। कजरा मुठभेड़ के पहले से ही नक्सलियों ने लखीसराय जेल, समाहरणालय और न्यायालय को उड़ा देने की धमकी दी थी। बाद में 29 अगस्त को एक बड़ी घटना हुई और आठ पुलिस कर्मी नक्सलियों की गोलियों के निशाने बने। तीन पुलिस कर्मी मौत के मुंह से किसी तरह बचकर निकले। इसके बावजूद जिला मुख्यालय पर से नक्सलियों की नजर नहीं हटी है। स्थानीय जेल में बंद साथी नक्सलियों को छुड़ाने के फिराक में संगठन के लोग लगे हैं। यही वजह है कि वहां की हर गतिविधि की जानकारी नक्सली ले रहे हैं। शनिवार की शाम पुलिस गिरफ्त में आया नक्सली भोला महतो इसी मंशा से एसपी आवास, समाहरणालय और कोर्ट एरिया का चक्कर लगा रहा था। हालांकि इसके बाद हरकत में आया जिला प्रशासन ने तीन हार्डकोर नक्सलियों को भागलपुर सेंट्रल जेल रविवार की सुबह भेज दिया। मगर अब भी एक दर्जन से अधिक नक्सली यहां के जेल में कैद है। ऐसे में अब भी नक्सली खतरा मंडरा रहा है।
गौरतलब है कि 05 सितंबर को जमुई में गिरफ्तार नक्सली पिंकू यादव एवं बहादुर यादव, कजरा में गिरफ्तार पैक्स प्रबंधक वेद प्रकाश एवं अंकज कुमार, चानन में गिरफ्तार कृष्ण कुमार कोड़ा उर्फ कृष्णा, 8 सितंबर को चानन थाना क्षेत्र के इलाके से गिरफ्तार चार नक्सली कपिल कोड़ा, शत्रुघ्न कोड़ा, विनोद मरांडी एवं राजेंद्र हेम्ब्रम, 13 सितंबर को जमुई से गिरफ्तार बडू कोड़ा उर्फ श्याम सुंदर कोड़ा, 23 सितंबर को भागलपुर में गिरफ्तार अमलेश कुमार सिंह उर्फ मनीष, कजरा क्षेत्र से गिरफ्तार गोपाल हेम्ब्रम एवं राजेश मुर्मू 29 अगस्त को कजरा नक्सली-पुलिस मुठभेड़ मामले में लखीसराय जेल में कैद है। इसके अलाव पूर्व से ही जय पासवान सहित कुछ अन्य नक्सली स्थानीय जेल के अंदर है। इसमें से पिंकू यादव, बहादुर यादव, श्याम सुंदर कोड़ा उर्फ बडू कोड़ा, अमलेश कुमार सिंह उर्फ मनीष, जय पासवान, कपिल कोड़ा, शत्रुघ्न कोड़ा, विनोद मरांडी, राजेंद्र हेम्ब्रम, गोपाल हेम्ब्रम, राजेश मुर्मू आदि हार्डकोर नक्सली हैं जिसने बीएमपी के सीएसआई लुकस टेटे की हत्या की बात भी स्वीकारी थी। इधर उक्त नक्सलियों के लखीसराय जेल में बंद रहने के बाद से नक्सलियों की नजर जेल पर टिकी हुई है। अब वे अपने साथियों को छुड़ाने के फिराक में है। इसको लेकर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने में संगठन जुट गया है।
Source:- Jagran