Tuesday, August 27, 2019

अपना वजूद खो रहा सौ साल पुराना दिघवा तालाब : लखीसराय

धीरे-धीरे अपना वजूद खो रहा सौ साल पुराना दिघवा तालाब 

चार बीघा में फैला इस तालाब का भी धीरे-धीरे हो गया अतिक्रमण सोया है नगर प्रशासन

संवाद सहयोगी, लखीसराय : लखीसराय शहर में जल भंडार का व्यापक संसाधन उपलब्ध रहने के बाद भी जल संकट का सामना लोगों को करना पड़ रहा है। शहर में अधिकांश पुराने तालाब मृतपाय होते जा रहे हैं। जलसंचय के प्रति लोगों को जागरूक करने एवं पारंपरिक जलस्नोतों को पुनर्जीवित करने के लिए सोए हुए सरकारी सिस्टम को जगाने को लेकर दैनिक जागरण का तलाश तालाबों की अभियान लगातार चलाया जा रहा है।
अभियान के तहत शहर के वार्ड नंबर 29 स्थित दिघवा तालाब की जब पड़ताल की तो पाया कि 100 वर्ष से भी अधिक पुराने इस तालाब को कोई देखने वाला नहीं है। उपेक्षा और अतिक्रमण की जाल में यह तालाब भी अपना वजूद खोता जा रहा है। स्थानीय लोग बताते हैं कि कभी यह तालाब काफी उपयोगी हुआ करता था। सालों भर तालाब में पानी भरा रहता था। लेकिन धीरे-धीरे इस पुराने तालाब का स्वरूप बदलता चला गया। तालाब की जमीन पर दर्जनों की संख्या में लोग घर बनाकर बस गए हैं। लेकिन नगर परिषद को इससे कोई मतलब नहीं रह गया है। यही कारण है शहरी क्षेत्र में प्राचीन जितने भी तालाब, पोखर थेसभी पर अतिक्रमण है। नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी डॉ. विपिन कुमार ने कहा कि जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत दिघवा तालाब का भी चयन किया गया है। इसके जीर्णोद्धार एवं अतिक्रमण मुक्त करने की भी कार्रवाई की जाएगी।
चार बीघा का तालाब जीर्णोद्धार की राह देख रहा: चार बीघा में दिघवा तालाब फैला हुआ है। इसका क्षेत्रफल 109649.61 वर्ग फीट है। करीब सात फीट गहरा यह तालाब पूरी तरह उपेक्षित है।। वर्तमान में बारिश होने से तालाब में थोड़ा पानी जमा हुआ है। हाल यह है कि मोहल्ले का कूड़ा इसी तालाब के किनारे डंप किया जाता है। तालाब की साफ-सफाई कभी नहीं होने के कारण चारों तरफ गंदगी पसरी हुई है। इसे देखने वाला कोई नहीं है। इसका जीर्णोद्धार कर जलसंचय का एक बड़ा साधन बन सकता है। यहां मछली पालन की भी संभावना बन सकती है।
Source:दैनिक जागरण  Date : 27th August 2019 Page 4
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Monday, August 19, 2019

लखीसराय : मंडरा रही सुखाड़ की काली साया, सावन में भी सूखे हैं खेत


सरकारी अनुदान व वैकल्पिक फसल योजना ही किसानों का बना है सहारा, हताश हैं किसान संवाद सहयोगी, लखीसराय : लखीसराय जिला प्राकृतिक आपदा से हमेशा लड़ता रहा है। वर्तमान में जिले में सुखाड़ की काली साया मंडरा रही है। विगत तीन महीने से मौसम की दगाबाजी एवं बारिश नहीं होने के कारण खरीफ फसल पर संकट गहराता जा रहा है। कृषि विभाग की मानें तो अगले कुछ दिनों तक अगर बारिश नहीं हुई तो जिले की स्थिति और भयावह हो सकती है। विभागीय पदाधिकारियों के अनुसार 20 अगस्त तक बारिश नहीं होने की स्थिति में सरकार जिले को सुखाड़ क्षेत्र घोषित कर सकती है। फिलहाल आधा सावन बीत जाने के बाद भी खेत सूखा है। इस कारण धान का बिचड़ा और रोपनी की गई फसल बर्बाद होने के कगार पर है। जिले में कतिपय साधन संपन्न किसानों को छोड़कर अधिकांश किसान मौसम की मार एवं सूखे खेत देखकर सुखाड़ की आशंका से सहमे हुए हैं। हाल यह है कि सरकारी अनुदान एवं वैकल्पिक फसल योजना ही एकमात्र सहारा बना है। जिले के चानन, हलसी, रामगढ़ चौक, लखीसराय प्रखंड सबसे ज्यादा प्रभावित है। वर्तमान में सरकार ने चानन व हलसी प्रखंड को पूर्व से ही सुखाड़ क्षेत्र घोषित किए हुए है। वर्तमान में चानन प्रखंड में 49 फीसद एवं सूर्यगढ़ा में 18 फीसद कम बारिश हुई है। जिले में वर्षापात की स्थिति

जून - सामान्य वर्षापात 175.55 एमएम के विरुद्ध मात्र 25.4 एमएम बारिश हुई। कुल 85.6 फीसद कम बारिश हुई।
जुलाई - सामान्य वर्षापात 282.3 एमएम के विरुद्ध 264.64 एमएम बारिश हुई। पूरे माह में 6 फीसद कम बारिश हुई।
अगस्त - सामान्य वर्षापात 308.1 एमएम के विरुद्ध बीते छह दिनों में शून्य फीसद बारिश हुई है। बारिश नहीं होने से खरीफ फसल प्रभावित

जिले में बारिश नहीं होने के कारण खरीफ फसल खासकर धान की खेती पूरी तरह प्रभावित हुई है। सरकारी आंकड़े के अनुसार जिले में 3,400 हेक्टेयर में धान का बिचड़ा रोपनी के निर्धारित लक्ष्य के विरुद्ध 3255 हेक्टेयर में बिचड़ा रोपनी का दावा कृषि विभाग कर रहा है। धान की रोपनी के कुल लक्ष्य 34,000 हेक्टेयर के विरुद्ध 8,450 हेक्टेयर में रोपनी का दावा किया गया है। हालांकि कृषि विभाग की इस रिपोर्ट पर जिले के प्रभारी मंत्री नीरज कुमार ने भी सुखाड़ की समीक्षा के दौरान नाराजगी जताते हुए पदाधिकारी को सही रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया था। डीजल अनुदान व वैकल्पिक फसल पर विशेष जोर

जिले में सुखाड़ की बन रही स्थिति को देखते हुए जिले के प्रभारी मंत्री नीरज कुमार ने कृषि विभाग के पदाधिकारियों को रबी डीजल अनुदान एवं वैकल्पिक फसल योजना का लाभ किसानों तक पहुंचाने का आदेश दिया है। जिले में डीजल अनुदान के लिए अबतक 18,413 किसानों ने आवेदन दिया है। इसमें 8,134 किसानों के खाते में एक करोड़ पांच लाख 52 हजार रुपये की राशि भेजी गई है। सुखाड़ घोषित हलसी प्रखंड के 10,259 एवं चानन प्रखंड के 3,579 किसानों को कृषि इनपुट का लाभ देने के लिए आवेदनों को बैंक भेजा गया है।

जिले में बारिश नहीं होने के कारण खरीफ मौसम की फसलों की खेती काफी प्रभावित हो रही है। खासकर धान की खेती पर संकट गहराने लगा है। सुखाड़ से निबटने के लिए तैयारी की गई है। कृषि विभाग के पदाधिकारी को कृषि इनपुट, रबी डीजल अनुदान एवं वैकल्पिक फसल योजना में तेजी लाने का आदेश दिया गया है। लगातार इसकी समीक्षा भी की जा रही है। 20 अगस्त तक बारिश नहीं हुई तो सरकार को रिपोर्ट भी भेजी जाएगी।
- विनय कुमार मंडल, डीडीसी, लखीसराय
News Source :Jagran
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