धीरे-धीरे अपना वजूद खो रहा सौ साल पुराना दिघवा तालाब
चार बीघा में फैला इस तालाब का भी धीरे-धीरे हो गया अतिक्रमण सोया है नगर प्रशासन
संवाद
सहयोगी, लखीसराय : लखीसराय शहर में जल भंडार का व्यापक संसाधन उपलब्ध रहने
के बाद भी जल संकट का सामना लोगों को करना पड़ रहा है। शहर में अधिकांश
पुराने तालाब मृतपाय होते जा रहे हैं। जलसंचय के प्रति लोगों को जागरूक
करने एवं पारंपरिक जलस्नोतों को पुनर्जीवित करने के लिए सोए हुए सरकारी
सिस्टम को जगाने को लेकर दैनिक जागरण का तलाश तालाबों की अभियान लगातार
चलाया जा रहा है।
अभियान के तहत शहर के वार्ड नंबर 29 स्थित दिघवा
तालाब की जब पड़ताल की तो पाया कि 100 वर्ष से भी अधिक पुराने इस तालाब को
कोई देखने वाला नहीं है। उपेक्षा और अतिक्रमण की जाल में यह तालाब भी अपना
वजूद खोता जा रहा है। स्थानीय लोग बताते हैं कि कभी यह तालाब काफी उपयोगी
हुआ करता था। सालों भर तालाब में पानी भरा रहता था। लेकिन धीरे-धीरे इस
पुराने तालाब का स्वरूप बदलता चला गया। तालाब की जमीन पर दर्जनों की संख्या
में लोग घर बनाकर बस गए हैं। लेकिन नगर परिषद को इससे कोई मतलब नहीं रह
गया है। यही कारण है शहरी क्षेत्र में प्राचीन जितने भी तालाब, पोखर थेसभी
पर अतिक्रमण है। नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी डॉ. विपिन कुमार ने कहा
कि जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत दिघवा तालाब का भी चयन किया गया है। इसके
जीर्णोद्धार एवं अतिक्रमण मुक्त करने की भी कार्रवाई की जाएगी।
चार
बीघा का तालाब जीर्णोद्धार की राह देख रहा: चार बीघा में दिघवा तालाब फैला
हुआ है। इसका क्षेत्रफल 109649.61 वर्ग फीट है। करीब सात फीट गहरा यह
तालाब पूरी तरह उपेक्षित है।। वर्तमान में बारिश होने से तालाब में थोड़ा
पानी जमा हुआ है। हाल यह है कि मोहल्ले का कूड़ा इसी तालाब के किनारे डंप
किया जाता है। तालाब की साफ-सफाई कभी नहीं होने के कारण चारों तरफ गंदगी
पसरी हुई है। इसे देखने वाला कोई नहीं है। इसका जीर्णोद्धार कर जलसंचय का
एक बड़ा साधन बन सकता है। यहां मछली पालन की भी संभावना बन सकती है।
Source:दैनिक जागरण Date : 27th August 2019 Page 4#Lakhisarai #Bihar #NEWS