Sunday, December 18, 2011

National Highway in Bihar

National Highway in Bihar

In Length wise Uttar Pradesh (U.P) is number 1 position having 5874 Km Long & Bihar comes 6th position nation wise. In Bihar longest route is NH31consisting 393 Km.

Sl. No.
NH No.
Route
Length (Km.)
Bihar
1
2
From U.P. Border-Mohania - Jahanabad-Sasaram-Dehri-Aurangabad-Madanpur-Dobhi-Barachati-Jharkhand Border
202
2
2C
Dehri-Akbarpur-Jadunathpur-Bihar/UP Border
105
3
19
From U.P. Border – Manjhi – Chhapra -Sonpur-Hajipur-Patna
120
4
28
Barauchi-Bachiwara-Tajpur-Muzaffarpur-Mehsi-Chakia-Gopalganj- upto U.P. Border.
259
5
28A
Junction with National Highway No.28 near Pipra Kothi-Sagauli-Raxaul-Indo/Nepal Border.
68
6
28B
Chapwa-Bettiah-Lauriya-Bagaha-Chhitauni Rail-cum-Road Bridge upto U.P. Border
121
7
30
Junction with NH-2 near Mohania-Kochas-Dinara-Bikramganj-Piro-Ara-Danapur-Patna-Phatuha-Bakhitiyarpur
230
8
30A
Phatuha-Chandi-Harnaut-Barh
65
9
31
From Jhankhand Border-Rajauli-Nawada-Bihar Sharif- Bakhtiyar-Barh- Mokoma-Barauni-Begusarai-Balia-Khagaria-Bihpur- Kursela – Purnia – Baisi - W.B. Border- Kishanganj- upto W.B. Border
393
10
57
Muzaffarpur-Darbhanga-Jhanjharpur-Narahia-Narpatganj-Forbesganj-Araria- Purnia
310
11
57A
The highway starting from the junction of NH-57 near Forbesganj and terminating at Jogbani
15
12
77
Hajipur-Muzaffarpur-Sitamarhi-Sonbarsa
142
13
80
Mokamah-Luckeesarai-Munger-Bhagalpur-Kahalgaon- upto Jharkhand Border
200
14
81
Kora-Katihar- upto W.B. Border
45
15
82
Gaya-Hisua—Rajgir- Bar Bigha-Mokama
130
16
83
Patna-Jahanabad-Bela-Gaya-Dobhi
130
17
84
Ara-Buxar
60
18
85
Chhapra-Ekma-Siwan-Gopalganj
95
19
98
Patna-Arwal-Daudnagar-Aurangabad-Amba upto Jharkhand border
157
20
99
Dobhi-Hardawan- upto Jharkhand Border
10
21
101
Chhapra-Baniapur-Mohamadpur
60
22
102
Chhapra-Rewaghat-Muzaffarpur
80
23
103
Hajipur-Hazrat Jandaha-Mushrigharari
55
24
104
Chakia-Madhuban-Shivhar-Sitamarhi- Sursand-Jaynagar-Narahia
160
25
105
Darbhanga-Keotiranway-Aunsi-Jaynagar
66
26
106
Birpur-Pipra-Madhepura-Kishanganj-Bihpur
130
27
107
Maheshkund-Sonbarsa Raj-Simribakhtiarpur – Bariahi – Saharsa -Madhepura-Banmankhi-Purnia
145
28
110
The highway starting from its junction with NH-98 from Arwal connecting Jahanabad-Bandhuganj-Kako-Ekangarsarai and terminating at its junction with NH-31 Biharsharif
89


Sub Total
3642
Courtsy:- website

Saturday, October 1, 2011

अब नहीं लगती गांवों में दलानों पर चौपाल

चौपाल
ग्रामीण जीवन का प्राकृतिक स्वरूप अब गांवों में नहीं दिखता और न ही दिखता है वह अपनत्व व भाईचारा जो कुछ दशकों पहले किसी गांव की खासियत हुआ करती थी। ग्रामीणों के आपसी दुख-दर्द की अभिव्यक्ति का मंच, राजनीतिक परिचर्चाओं का मंच तथा अन्यान्य समस्याओं को सुनने तथा उसे दूर करने का ग्रामीण मंच चौपाल अब गांवों की गलियों में नहीं लगती और न ही गांवों वह एकता दिखती है। दो-चार दशक पूर्व तक गावों के मेठ ही उस गांव के सर्वेसर्वा हुआ करते थे और उनका निर्णय सर्वमान्य हुआ करता था। लेकिन दो दशकों से गांवों में वैसी संस्कृति का अभाव सा हो गया है। अब न तो गांवों में बड़े-छोटे के बीच वह अनुशासन दिखता है और न ही वह शालीनता। राजनीतिक चेतना आ जाने से गांवों में विकास की जगह गुटबंदी बढ़ गई है। विभिन्न दलों से जुड़े ग्रामीण अब अपनी औकात व शान-ए-शौकत दिखाने में जुटे हैं लिहाजा गांवों में एकजुटता का अभाव साफ परिलक्षित होता है। दमन व शोषण के खिलाफ आवाज उठाने वाले पंच परमेश्वरों का अस्तित्व भी अब गांवों में समाप्त हो गया है। संघर्ष के बाद लोग सीधे मुकदमें करने को तत्पर रहते हैं। ग्रामीण खपरैल व फूस के घरों से गुलजार गांव का रूप अब पक्के मकानों ने ले लिया है। फूस-लकड़ियों व गोयठों से जलने वाले चूल्हे अब गांवों की विशिष्ट पहचान नहीं रह गई है। गैस चूल्हों की डिमांड वहां भी होने लगी। घरों की बाहरी दीवारों पर जलावन के उद्देश्य से ठोके गए गोयठे अब गांवों में कम ही देखने को मिलते हैं। दादा, काका, भैया के संबोधन से खुशहाल ग्रामीण जीवन अब रंजिश के संबोधन से आबद्ध हो चुका है। न तो गांवों में अब जांता व ढेंकी का प्रचलन रह गया है और नही किसी खास मेहमान के पहुंचने पर शरबत पिलाने की रस्म। संयुक्त परिवार तो अब गांवों में कम ही दिखते हैं। एकल परिवार भी ऐसा कि जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं।

Sunday, September 25, 2011

Break Free From Your Tricky Love Affair - Freedom 3.0

About This Project
Immediate Call for India – Once again be the Spark for the World.

Freedom 1.0 – Gandhi gave freedom from Colonial rule.

Freedom 2.0 – JP fought and Anna is fighting for the freedom from political or
bureaucratic oppression.

Freedom 3.0 – You free yourself from your mental traps holding you back.


Tools -

Freedom 1.0 - Ahimsa and Non- Cooperation.

Freedom 2.0 – Jan Kranti or mass people movement and Jan Lok Pal.

Freedom 3.0 – “Dissolving the mental boxes and traps to REPOSITION.” (For details see the slideshare)


The change – Achieved or Work-in-progress

Freedom 1.0 – India got freedom from the clutches of the British.

Freedom 2.0 – The Aam junta (people) are getting political and legislative
empowerment.

Freedom 3.0 – You dissolve all your mental shackles and limitations to
design your future intelligently and lead the UI World Vision 2030.



What is UI World Vision 2030?

It is a 10 point vision for a better life and a better world. It begins with you. Unless you free yourself from your mental traps (point 1) you will fail to achieve the remaining 9 points. So you participate in this vision by helping yourself first. ( see You tube for more details)

It aims at world-realization through self-realization.

1. Free individuals and organizations from vicious traps: Over a period of time we have fallen in love with our thought patterns, boxes and traps and these are holding us back. This vision intends to free a critical mass (at least 20%) of the individuals from different strata of the society. This will translate into dissolving the bottlenecks for organizations too. This critical mass will then free India and the world. This will provide the intelligence for many real sparks.

2. Enable individuals and organizations to identify their purpose in life and
provide intelligence to achieve them: Our present purpose in life is infected
and limited because of limited vision and insight as we respond from mental boxes and traps. Our means and tools to achieve them are also incompatible and unintelligent. This vision connects us to the field from which we can design our future with ease and grace.

3. Health through immunity: We don’t respond to life naturally. So our
immunity is decreasing rapidly and we are prone to life style diseases like
blood pressure, blood sugar, indigestion, amnesia, spondolysis, heart
problem etc. We intend to arrest modern diseases by improving our
immunity.

4. Education by connecting to Universal Laws: Our education only makes us
literate. We lack Universal Intelligence and therefore fail to cope up with the challenges of the dynamic world. We intend to connect people to the Universal Laws managing the entire Universe for a better and fuller life.

5. Organic agriculture: We intend to encourage organic agriculture and
organic intake of food for a healthy life.
Please Vote:-
Our Idea has been shortlisted by Mahindra & Mahindra and the best voted poject would be funded by Mahindra. Would need you to play your part and get some votes for us as we are trailing by 480 votes. Here are the steps
Simple steps to vote. 1) Visit the link http://www.sparktherise.com/projectdetail.php?pid=3161 on the internet adress bar. 2) The project will open up. Click on the Log in button (at the bootom of the screen) and login with your facebook account. 3) Click on the vote button. 4) Click on the follow button.

Kindly contact Santosh Sharma
Website:- http://www.wantmyfreedomback.com/index.php
Facebook:- http://www.facebook.com/santosh.cas

Tuesday, September 20, 2011

स्लेट-पेंसिल की जगह थाम रहे तीर-धनुष

सूर्यगढ़ा (लखीसराय), जाप्र. : अनुसूचित जनजाति के उत्थान के लिए उनके बीच शिक्षा का विकास कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार प्रतिवर्ष लाखों रुपए खर्च कर रही है। लेकिन धरातल पर नजर डालें तो प्रखंड के जंगली-पहाड़ी क्षेत्रों के दर्जनों गांवों में रह रहे आदिवासियों की जिंदगी अब भी दुरूह बनी हुई है। वे अभिशप्त जिंदगी जीने को मजबूर हैं। आज भी आदिवासी बच्चे पढ़ने के बजाए अपने पेट की आग बुझाने के लिए दिन भर इधर-उधर जंगली पशु-पक्षियों का शिकार करने को विवश हैं। सरकारी उदासीनता एवं गरीबी की मार से मासूम आदिवासी स्लेट-पेंसिल की जगह हाथ में परंपरागत हथियार तीर-धनुष संभाले शिकार की तलाश में सुबह होते ही खेतों-जंगलों व पहाड़ों की ओर निकल पड़ते हैं। प्रखंड के बुधौली बनकर पंचायत के डमनिया, कानीमोह, शीतला कोड़ासी, काशी टोला, बंकुरा कोड़ासी, बरमसिया, घोंघर घाटी, बरियारपुर पंचायत के दुद्धम, कनेरिया, जमुनिया, हदहदिया, मनियारा, हनुमान थान, चौरा राजपुर पंचायत के रंगनियां, बंगाली बांध, सुअर कोल, बरियासन, खुद्दीवन आदि आदिवासी गांव सुदूर जंगली-पहाड़ी क्षेत्र में हैं। उक्त गांव में से अधिकांश इलाके में विद्यालय नहीं खुल पाता है। इस कारण बच्चे पढ़ाई से वंचित हो रहे हैं। स्वास्थ्य का भी वही हाल है। यहां के लोगों की जीविका का प्रमुख साधन कृषि एवं जंगल ही है। मौसम की बेरूखी के कारण आदिवासी लोगों के लिए खेती प्राय: घाटे का ही सौदा साबित होता है। इस कारण यहां के अधिकांश लोग जंगल पर निर्भर हैं। जंगल से लकड़ी काट कर तथा सखुआ का पत्ता तोड़कर उसे लगभग 15 से 20 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करके उसे बेचकर अपना जीवनयापन करते हैं। चैतू कोड़ा, मंगल कोड़ा, जीतन कोड़ा आदि ने बताया कि लकड़ी एवं सखुआ पत्ता बेचने पर 50 से 60 रुपए मजदूरी मिल पाती है। जिसमें दोनो शाम भोजन का जुगाड़ करना मुश्किल ही नहीं कष्टदाई होता है। ऐसी परिस्थिति में उनके छोटे-छोटे बच्चे भी जीविकोपार्जन में सहयोग करते हैं। जिला कल्याण पदाधिकारी सुरेश नंदन सहाय की मानें तो अनुसूचित जन जाति के लिए विशेष केन्द्रीय सहायता (शत-प्रतिशत अनुदान) प्रदान की गई है। जिसके तहत न केवल उनके बच्चों को शिक्षित करना है बल्कि उन्हें विकसित कर आत्मनिर्भर बनाना भी सरकार का लक्ष्य है।
Source:- Jagran

Tuesday, August 23, 2011

शमशान घाट में संवर रहा बचपन

सरकार एवं शिक्षा विभाग के शैक्षणिक विकास के दावे के बावजूद बड़हिया नगर पंचायत के दर्जन भर डोम समुदाय के बच्चे शमशान घाट के किनारे मुर्दे की लकड़ियां व कपड़े चुनने को विवश हैं। इस ओर न तो स्थानीय प्रशासन का ध्यान जा रहा है और न ही जनप्रतिनिधि इस ओर सतर्क हैं। जानकारी के मुताबिक बड़हिया नगर क्षेत्र के वार्ड 14 में अवस्थित डोम समुदाय के करीब दो दर्जन बच्चे शिक्षा की किरण से वंचित हैं। उपेक्षावश इन्हें न तो स्थानीय स्कूलों में दाखिला मिल पाता है और न ही आंगनबाड़ी केन्द्रों पर ही इनके बच्चों की उपस्थिति हो पाती है। सुबह से शाम तक डोम समुदाय के नौनिहाल स्कूल के बजाय गंगातट के निकट शमशान घाट पर स्लेट-पेंसिल की जगह कफन का कपड़ा व चिता की लकड़ी से अपना भविष्य बना रहे हैं। इस शमशान घाट पर कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधि भी आते हैं परंतु उक्त महादलितों की दशा से उन्हें कोई मतलब नहीं है। इस संबंध में स्थानीय बुद्धिजीवियों ने बताया कि जागरूकता के अभाव में कई महादलित बच्चे अभी तक स्कूल का मुंह नहीं देख सके हैं। तथा सरकारी पदाधिकारी कागजों पर ही गरीबी उन्मूलन एवं सर्वशिक्षा अभियान की सफलता के दावे कर अपनी पीठ थपथपा रहे है। इस संबंध में अनुमंडलाधिकारी विनय कुमार राय ने कहा कि बच्चों का स्कूल नहीं जाना चिंता का विषय है। संबंधित पोषक क्षेत्र के आंगनबाड़ी केंद्र व स्कूल प्रबंधन को इस हेतु जागरूकता फैलाकर ऐसे बच्चों के बीच शिक्षा की ज्योति जगाना चाहिए।
Danik Jagran 

Thursday, July 28, 2011

श्रावणी मेला : दूसरी सोमवारी पर शिवमय हुआ माहौल, बोलबम की गूंज

 
हर-हर महादेव, ऊँ नम: शिवाय की जयघोष सावन के दूसरे सोमवारी पर शिव मंदिरों व शिवालयों में गूंजती रही। अशोकधाम स्थित श्री इन्द्रदमनेश्वर महादेव मंदिर में करीब 40 हजार से अधिक शिवभक्तों ने विशाल शिवलिंग पर जलाभिषेक किया। अहले सुबह से ही मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी जो शाम तक जारी रहा। बड़ी संख्या में शिवभक्तों ने हाथीदह स्थित सिमरिया घाट एवं बड़हिया, खुटहाडीह, पिपरिया गंगा घाट से जल भर कर पैदल अशोकधाम मंदिर पहुंचकर शंकर व पार्वती मंदिर में गंगाजल, दूध व बेलपत्र चढ़ा कर पूजा अर्चना की। श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ को देखते हुए नगर थानाध्यक्ष संतोष कुमार के नेतृत्व में अवर निरीक्षक सीपी सिंह, सुदामा पांडेय, सुधा कुमारी सहित सैप व होमगार्ड जवान श्रद्धालुओं को पंक्तिबद्ध करने में लगे रहे। बाहरी भीड़ पर कैमरे के द्वारा कंट्रोल रूम में ट्रस्ट के सचिव डा. श्यामसुन्दर सिंह, कोषाध्यक्ष राजेन्द्र सिंघानिया द्वारा निगरानी रखी जा रही थी। सचिव श्री सिंह ने बताया कि दूसरी सोमवारी को अन्नपूर्णा भोजनालय में पांच हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने भोजन किया है। उधर शहर के थाना चौक एवं मोटका महादेव मंदिर में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की।

चानन, संसू. के अनुसार : प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न शिव मंदिरों में दूसरी सोमवारी को लेकर जल चढ़ाने व पूजा अर्चना करने को भीड़ उमड़ पड़ी। खासकर श्रृंगीऋषि धाम में सुबह से ही श्रद्धालुओं की काफी भीड़ देखी गई।
पीरी बाजार, संसू के अनुसार : सावन महीने की दूसरी सोमवारी के अवसर पर कजरा और पीरी बाजार क्षेत्र समेत आसपास के इलाकों के विभिन्न शिवालयों में हजारों श्रद्धालुओं ने भगवान शिव का जलाभिषेक किया। इस दौरान श्रद्धालुओं की काफी भीड़ थी।
पिपरिया, संसू. के अनुसार : सावन की दूसरी सोमवारी को शिव भक्तों ने शिवलिंग पर जलाभिषेक किया। प्रखंड के वलीपुर, रामचंद्रपुर, पिपरिया, मोहनपुर, सैदपुरा, मुड़बड़िया आदि गांवों स्थित शिवालयों में जलाभिषेक किया। बोलबम के नारों से माहौल भक्तिमय हो गया।
बड़हिया, संसू. के अनुसार : सावन महीने की दूसरी सोमवारी के अवसर पर सैकड़ों भक्तों ने पावन गंगा में डुबकी लगाकर इन्द्रदमनेश्वर महादेव मंदिर में जलार्पण हेतु रवाना हुए। इसके अलावे कई भक्तों के द्वारा प्राचीन दूधनाथ महादेव, नीलकंठ मंदिर, सदायबीघा के गौतम महादेव, बहादुरपुर के पंचबदन महादेव के उपर बेलपत्र, फूल व जल का अर्पण किया।